जर्जर टोर्ली के सहारे नदी पार करने को मजबूर! दूसरे रास्ते जंगल से आवाजाही में ग्रामीणों को गुलदार का डर कैसे पहुँचे?डबल इंजन सरकार नदी पार अपने गाँव स्यूंणा

उत्तरकाशी
रिपोर्ट – महावीर सिंह राणा
उत्तरकाशी: जनपद मुख्यालय से लगे स्यूंणा गांव के ग्रामीणों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। ग्रामीण एक ओर जहां सिस्टम की उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं। वहीं, अब प्रकृति भी उनकी परीक्षा ले रही है। गांव को जोड़ने के लिए भागीरथी नदी के ऊपर लगी जर्जर ट्राली से जहां वर्तमान में भागीरथी नदी का जलस्तर बढ़ने के चलते दुर्घटना का खतरा है। वहीं, अब तेखला पुल से लगे जंगल से आवाजाही में ग्रामीणों को गुलदार का डर सता रहा है। ऐसे में ग्रामीण गांव में ही कैद हो कर रह गये हैं।
दरअसल, भटवाड़ी विकास खंड का स्यूंणा गांव जिला मुख्यालय से करीब चार किमी दूरी पर है। इस गांव के करीब 35 से अधिक परिवार लंबे समय से गांव को सड़क या पुल से जोड़ने की मांग कर रहे हैं। लेकिन दोनों में से कोई मांग पूरी नहीं हो पायी है, जिसके चलते ग्रामीण आवाजाही का संकट झेलने को मजबूर हैं। सर्दियों में नदी का जलस्तर घटने पर ग्रामीण भागीरथी नदी पर अस्थायी पुलिया बनाकर आवाजाही करते हैं।

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लेकिन बरसात के सीजन में आवाजाही का संकट खड़ा हो जाता है। एक और उफनाई हुई भागीरथी नदी है तो दूसरी ओर घना जंगल। हालांकि भागीरथी नदी के ऊपर गांव के ग्रामीणों की आवाजाही को हस्तचालित ट्राली लगायी गयी है। लेकिन बच्चों सहित अकेली महिला के लिए ट्राली का रस्सा खींच पाना आसान नहीं होता है।
आखिर कब जागेगा शासन प्रशासन यह सवाल तो बनता हैँ कबतक चलेगे ट्रॉली के सहारे

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