उत्तरकाशी
रिपोर्ट महावीर सिंह राणा
युवा आदर्श रामलीला समिति विकास भवन लदाडी बाडागड्डी उत्तरकाशी की रामलीला के अष्टम दिवस की रामलीला मै आज के मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष श्री रमेश चौहान एवं सभी जिला पंचायत सदस्यों ने दीप प्रज्वलित किया ।
विकास भवन लदाडी की राम लीला उत्तरकाशी में अपने आप में एक अलग पहचान रखती है इसमें स्थानीय कलाकारों को मौका दिया जाता है ताकि वह अपनी कला का प्रदर्शन कर सके उत्तरकाशी के विकास भवन से सटे होने के कारण यह रामलीला उत्तरकाशी की सुप्रसिद्ध रामलीला में गिनी जाती है
युवा आदर्श रामलीला समिति के मीडिया प्रभारी शंकर सिंह गुसाई ने बताया है कि विगत
देर शाम यहां रामलीला मैदान की पंचवटी में राम, लक्ष्मण व सीता बैठे प्रकृति के नजारे देख रहे थे,तभी घूमती हुई सूर्पनखा वहां पहुंचती है। जब सूर्पनखा की दृष्टि राम के सुंदर स्वरूप पर पड़ती है तो वह मोहित हो जाती है और स्वयं एक बहुत ही सुंदर स्त्री का रूप धारण करके राम के पास जाकर अपने भाई रावण के विस्तृत साम्राज्य का परिचय देते राम से उनका परिचय एवं वन आने का कारण पूछती है।

राम उसे बताते हैं कि मैं अयोध्या नरेश दशरथ का पुत्र राम हूँ और यहां अपनी पत्नी सीता व भाई लक्ष्मण सहित वनबासी जीवन बिता रहे है। अपने रूप लावण्य में मदमस्त सूर्पनखा अपने विवाह का प्रस्ताव राम के सम्मुख रखती है ।
राम अपने विवाहित होने की बात कहते हैं तब सूर्पनखा लक्ष्मण के सम्मुख अपने विवाह का प्रस्ताव लेकर जाती है। लक्ष्मण भी उसे ये कहकर वापस भेज देते हैं कि मैं तो अपने भाई का एक सेवक मात्र हूँ, तो क्या तुम एक राजकुमारी होकर भी एक सेविका बनना पसन्द करोगी, तुम्हें तो किसी राजकुमार को अपना वर बनाना चाहिए।
सूर्पनखा वापस राम के सम्मुख जाकर एक बार पुनः अपने विवाह का प्रस्ताव रखती है तो राम सीता की ओर इशारा कर देते हैं। सूर्पनखा इसे अपना उपहास समझती है और गुस्से में सीता को मारने के लिए झपटती है ,वैसे ही राम का इशारा पाकर लक्ष्मण सूर्पनखा की नाक और कान काट उसे कुरूप कर देते हैं।

सुपर्णखा यह सब घटित होने से बौखला उठती और विलाप करती तथा कटी हुई नाक के साथ अपने भाइयों खर और दूषण के पास जाकर उन्हें सारा वृतांत बताती है।कहती है कि वन में दो राजकुमार आए हैं उनके साथ एक सुंदर स्त्री भी है। मैंने उस जैसी सुंदर स्त्री नहीं देखी इसलिए उस स्त्री को बड़े भाई रावण की पटरानी बनाने की इच्छा जताई तो उसके पति व देवर ने मेरे नाक कान काट दिए।
यह सुन क्रोधित खर और दूषण अपनी विशाल सेना के साथ राम लक्ष्मण से युद्ध करने पहुंच जाते हैं तो राम मोहिनी अस्त्र का प्रहार करते हैं और असुरों को अपने साथी असुरों में राम की क्षवि दिखने लगती है और खर-दूषण की सेना आपस में लड़कर मृत्यु को प्राप्त होती है। अंत में खर और दूषण भी श्रीराम के हाथों मारे जाते हैं।
सूर्पनखा ये सब घटित होते देखती तो वह सीधी लंका अपने बड़े भाई रावण के पास पहुंचती और सारी घटना सुनाती है। सीता के रूप सौंदर्य का बखान करते हुए कहतीं है कि ऐसी सुंदर स्त्री तो अपने महल में होनी चाहिए । रावण सूर्पनखा की बातों में आ जाता है और रावण अपने मामा मारीच को बुला लेता है।
इस मौके पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्री रमेश चौहान समस्त जिला पंचायत सदस्य ,रामलीला समिति के समस्त पदाधिकारी, ग्रामीण लोग मौजूद रहे ।

