हर्षोल्लास से मनाया गया द्वारी गांव में समेश्वर देवता का अषाढ़ मेला।

उत्तरकाशी

रिपोर्ट महावीर सिंह राणा
उत्तरकाशी के भटवाडी ब्लॉक के टक्नौर क्षेत्र में २२गते अषाढ़ को मनाया जाने वाला राजा रघुनाथ का मेला बड़ी धूमधाम से मनाया गया, सेकंडों लोगों ने देखा समेश्वर देवता का डागुरिया आषण, सुप्रसिद्ध श्री कंडार देवता के मन्दिर ग्राम द्वारी में सेकंडों की संख्या में आएं लोगों ने पौराणिक रासू नृत्य लगाकर मेले का आनंद लिया। द्वारी गांव में हर्षोल्लास से मनाया गया समेश्वर देवता का अषाढ़ मेला।


पौराणिक मान्यता के अनुसार अषाढ़ का मेला क्षेत्र में बरसात तथा पहाड़ जेसे विकट भू-भाग क्षेत्र में गांव की खुशहाली के लिए भगवान् समेश्वर देवता को प्रसन्न किया जाता है। मेले में बुग्यालों से लाई जाने वाली जयांण के फूल लोगों को दिया जाता है, लोग रासू नृत्य के साथ देव डोली को नचाते हैं उसके पश्चात कफवा लगाकर समेश्वर देवता अपना डांगुरिया आषण लगाते है जिसमें देवता लोगों की सुख-दुख की बात बताकर उन्हे यश वृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
द्वारी गांव में कंडार देवता की मान्यता विषेश मानी जाती है लोग अपना न्योता ( मन की बात) कंडार देवता से पुछते है फिर देवता लोगों का न्योता बताकर आशीर्वाद देता है, कंडार देवता के साथ समेश्वर देवता की शक्ति और प्रगाढ़ डांगुरिया आषण के समय देखी जा सकती है, जब दोनों देवता आपस में अपनी बातचीत करते हैं, यह दृश्य भारी मनमोहक होता है, फिर गांव की ध्याणियां देवता को चढ़ावा भेंट कर अपने परिवार की खुशहाली हेतु कामना करती हैं।
गांव के मालगुजार ममराज जी ने बताया कि हमने इस मेले को पिछले कई सालों से भव्य रूप देने का प्रयास किया है जो आगे जाकर पर्यटन से जोड़ा जायेगा।

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