उत्तरकाशी
रिपोर्टमहावीर राणा
खबर सीमांत जिला उत्तरकाशी से है जहां ऐसी मान्यता है की पंचकोशी की यात्रा पूर्ण करने करके श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती
वरुणत क्षेत्र में श्रद्धालु जब भी त्रिवेणी संगम पर स्नान कर वर्णावत पर परिक्रमा करते हैं तो उसी जल को वरुणावत के विराजमान हजारों देवी देवताओं को अर्पित करते हैं आज श्रद्धालु सुबह से ही पवित्र घाट त्रिवेणी संगम में स्नान करके गंगाजल पूजा की सामग्री लेकर यात्रा की ओर निकल पड़ते हैं हजारों की संख्या में इस दिन अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए व्रत भी रखते हैं यह यात्रा बडेथी चुंगी मंदिर में जलाभिषेक कर चुंगी से ऊंची सीडी नामें रास्ते से होकर वासुंग के ज्ञान मंदिर में पहुंचे हैं तथा मंदिर में पूर्ण पूजा पाठ और जलाभिषेक कर आगे निकलते हैं यात्रा के समय पैदल चलकर मोन व्रत के साथ अपने मंत्र जाप व भगवान का स्मरण कर इस यात्रा का लाभ अर्जित करते हैं देवभूमि उत्तराखंड धार्मिक यात्रा अपने आप में एक अनूठी है इन धार्मिक यात्राओं में लगातार हर वर्ष संख्या बढ़ती जा रही है
ऐसी यात्रा उत्तराखंड में ही नहीं संपूर्ण भारत में संस्कृति का एक व्यापकता प्रदान करती है जनपद उतरकाशी में पंचकोशी यात्रा का महत्व है का जिक्र स्कंद पुराण में लिखित है त्रिवेणी संगम और 80 गंगा संगम पर स्नान कर पंचकोशी यात्रा का अनंत गुण फल प्राप्त होता है इसी यात्रा का कई प्रमाण केदार खंड और स्कंद पुराण जैसे धार्मिक ग्रंथो में है करोड़ देवी देवताओं इस वर्णावत भूभाग में निवास करते हैं
नगरी उत्तरकाशी में सदियों से चलती आ रही, हर साल चैत्र मास की त्रियोदसी को होने वाली पंचकोशी वारुणी यात्रा का अपना ही महत्व है. उत्तरकाशी शहर और गंगा भागीरथी से लगे वरुणावत पर्वत पर पंचकोशी वारुणी यात्रा की जाती है. 15 किलो मीटर की इस यात्रा में श्रद्धालु आस्था के साथ साथ कुदरत का भरपूर आनंद लेते हैं. बेहद खूबसूरत जंगलों के बीच से गुजरता रास्ता और वरुणावत शीर्ष से हिमालय की बर्फ से लदी चोटियों का विहंगम दृश्य देखने को मिलता है.
कुछ लोग नंगे पैर तो कुछ व्रत कर इस यात्रा को शुरू करते हैं. लगभग 15 किलोमीटर की इस यात्रा में पहला गांव बसूंगा पड़ता है, जहां बासू कंडार का मंदिर है. ग्रामीण यहां सभी श्रद्धालुओं का स्वागत करते हैं और श्रद्धालु बासू कंडार का आशीर्वाद लेकर आगे बढ़ते हैं. जिसके बाद साल्ड गांव में जगन्नाथ एवं अष्टभुजा ज्वाला देवी के मंदिर, ज्ञाणजा में ज्ञानेश्वर महादेव एवं व्यास कुंड के दर्शन कर श्रद्धालु वरुणावत के शीर्ष पर पहुंचते हैं. जहां से उत्तरकाशी शहर, गंगा भागीरथी की और गंगोरी अस्सी गंगा व् भागीरथी नदी के निकट एक भव्य मंदिर महादेव मंदिर में सभी श्रद्धालु इस यात्रा का समापन करते है.
इस यात्रा में जो भी व्यक्ति जाता है कहते हैं उसकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है पंडित राधेश्याम बताते हैं कि यह यात्रा 12 महा की जाती है भले इसका प्रचार प्रसार नहीं हो पा रखा है
वही तपोबन माता धर्मत आश्रम के सचिब मुकेश कुमार बताते हैं कि हर साल यहां तपोबन माता सुभद्रा धर्मत के आश्रम में भंडारा किया जाता है जिसमें 5000 से ऊपर तक लोग भोग प्राप्त करते हैं और हम लोग भी हर साल यहां पर आकर श्रद्धालु की सेवा करते हैं जो की एक सराहनीय कार्य है