उत्तरकाशी
सरकार से मानदेय प्राप्त संस्कृत विद्यालयों /महाविद्यालय में वर्षों से पढ़ा रहे संस्कृत शिक्षकों को अब आउटसोर्स से नियुक्त करने पर आपत्ति दर्ज की है। सभी उतरकाशी के शिक्षकों ने आभासी माध्यम से बैठक कर कहा कि जिन शिक्षकों की बदौलत संस्कृत विद्यालय महाविद्यालय बचे हुए हैं और जो लंबे समय से बहुत ही अल्प मानदेय पर कार्य कर रहे हैं ऐसे शिक्षकों को वर्तमान संस्कृत के जिम्मेदार अधिकारी उन्हें आउटसोर्स से नियुक्त करने का प्रयास कर रहे हैं जबकि प्रदेश सरकार ने संस्कृत को द्वितीय राजभाषा घोषित किया है तथा उसके संरक्षण संवर्धन एवं सुदृढीकरण के लिए कैबिनेट की उप समिति के माध्यम से संस्कृत विद्यालयों महाविद्यालयों में लंबे समय से कार्य करने वाले ऐसे 155 अर्ह शिक्षकों को मानदेय दिया जा रहा है जहां इन शिक्षकों की मांग तदर्थ करने की थी अब वही शासन में बैठे हुए अधिकारी इन शिक्षकों को आउटसोर्स से नियुक्त करने में तुले हुये हैं शिक्षकों ने कहा कि यह संस्कृत शिक्षा के साथ सरासर अन्याय एवं संस्कृत शिक्षकों पर कुठाराघात है जिसे किसी भी सूरत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा ।
विभागीय अधिकारी अपनी गलत एवं जबरदस्ती का फैसला इन शिक्षकों पर थोपेंगे तो शिक्षक आवश्यकता पड़ने पर सड़कों पर आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे उन्होंने कहा कि यह सब काम षड्यंत्र के तहत हो रहा है जिसे संस्कृत समाज स्वीकार नहीं कर सकता। बैठक में सभी ने एक स्वर में इसका विरोध किया।
संस्कृत शिक्षकों को अब आउटसोर्स से नियुक्त करने पर आपत्ति

